माउन्ट आबू के अधिष्ठाता महर्षि वशिष्ठ के वशिष्ठ द्वार का भव्य उदघाटन


| February 10, 2017 |  

vashist dwar inauguration function mount abu

80 लाख का बना वशिष्ठ द्वार । परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरानंदगिरी ने किया उदघाटन।

माउन्ट आबू अर्बुदांचल के स्थापना करने वाले महर्षि वशिष्ठ का वशिष्ठ द्वार जो 80 लाख की लागत से बनाया गया है जिसका भव्य उदघाटन श्रीमति परमहंस परिव्राजकाचार्य एवं संवित साध्नायन ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी ईश्वरानंदगिरीजी द्वारा सारस्वताचार्य स्वामी सध्धोजात शंकराश्रम महाराज मठाधीश्वर चित्रापुरमठ सिराली कर्नाटक एवं संत सरोवर माउन्ट आबू के अध्यक्ष वाचस्पति संवित सोमगिरीजी महाराज के द्वारा देश विदेश से आए हतजारो श्रद्वालुओं और साधको की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर स्वामी ईश्वरानंदगिरीजी महाराज ने कहा कि वशिष्ठ स्थापित अर्बुदांचल की स्थापना महर्षि वशिष्ठ के द्वारा की गई। इस बात का प्रमाण हमारे स्कन्ध पुराण के अर्बुद खं डमें दिया गया है। यह हमारे ऋषीजनों व गुरूओं द्वारा प्रमाणित है लेकिन इस स्थान की स्थापना करने वाले ऋषि वशिष्ठ का स्मारक अर्बुदांचल में नही था जिसके स्मारक की वशिष्ठ द्वार के रूप में आज मेरे और महान सन्तों के बीच की गई है और यह द्वार आबू की जनता को सर्मपित करते हुए मुझे आपार हर्ष हो रहा है। इस अवसर पर सारस्वत स्वामी सध्धोजात एवं स्वामी सोमगिरीजी महाराज की उपस्थिति रही यह भी गर्व की बात है।

यहां के निवासियो, आने वाले पर्यटकों श्रद्वालुओं के लिये इस धरा पर अधिष्ठाता महर्षि वशिष्ठ की जानकारी जन जन तक पहुचेगी और हम गर्व महसूस कर सकेंगे। वे आज माउन्ट आबू में महर्षि वशिष्ठ द्वार महोत्सव पर द्वार के उदघाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। कर्म के साथ सच्चाई को जो जानता है उसे महसूस होगा कि महर्षि वशिष्ठ उनके जीवन को सफल बनायेंगे। उन्होने कहा धर्म का अर्थ धारना व्यवहारिक जीवन में उच्च नैतिक मूल्यों की धारणा जिसमें मानव का चरित्र उचा हो अन्य मनुष्यों से सद व्यवहार करे, कर्तव्य का पालन करे इसे ही धर्म कहते है।

समारोह के मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्व संत सारस्वताचार्य स्वामी सध्धोजात शंकराश्रम ने कहा कि मानव सेवा तथा दीन दुखियों के संकटो को दूर करने को ही हम साधाना मानते थे लेकिन हमें अपने प्राचीन इतिहास को भी जन जन तक पहुचाना है और महर्षि वशिष्ठ के जीवनकाल और धर्म के अर्थ को समझकर इसमें समा जाने से ही जीवन सफल होगा। महर्षि वशिष्ठ के प्राचीन इतिहास को उनकी अनुभूति को प्रतिदिन जीवन के हर कर्म से अनुभव करे तो वह अपने जीवन को सार्थक बना सकेगा। समारोह के विशिष्ठ अतिथि एवं संत सरोवर के अध्यक्ष स्वमी सोमगिरीजी महाराज ने इस अवसर पर कहा आज हमदेख रहे है कि इस दुनिया में हर व्यवस्था चरमरा गई है।

ऐसे में माउनट आबू जैसे अर्बुदांचल में इस वशिष्ठ द्वार से जो भी निकलेगा उसमें संस्कारों का सृजन होगा। जीवन सफल होगा। महर्षि वशिष्ठ का आर्शीवाद प्राप्त होगा। कर्म भले करना है लेकिन इसमें सच्चाई सावधानी चाहिए महर्षि वशिष्ठ हमारे साथ है। इस अवसर पर देश के कोने कोने से संत महात्मा माउन्ट आबू पुहचे और इस समारोह को सम्बोधित भी किया जिसमें प्रमुख थे जोधपुर से आए स्वामी भूमानंद सरस्वती, हेमगिरीजी महाराज, दुलेश्वर मन्दिर के मंहत नारायण स्वामी, मुकन्दानंदजी महाराज, धीरेन्द्र स्वामी, विरेश्ष्वर स्वामी आदि मंच पर विराजमान थे।

इस अवसर पर महारानी उषा रानी जोधपुर, लेफ्टीनेन्ट कर्नल वी एस ठाकुर, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक जम्मू कश्मीर राम प्रकाश, पूर्व पुलिस महा निरीक्षक केन्द्र रिर्जव पुलिस बल कालीराम शर्मा सहित अहमादाबाद के मणी भाई, सुधीर सर्राफ, सुधीर जैन, भरत रावल, रसिक भाई, सिराली मठ के भक्तगण, प्रफुल प्रभाकर, किंग्स फ़ूड के योगेन्द्र सिंह गहलोत, मंविराज सिंह गहलोत, नगरपालिका उप्पाध्यक्ष अर्चना दवे, आबू वासी व बाहर से आये भक्तगण मोजूद रहे |

 

 

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