आतंकवाद और आतंकवादी शब्द ऐसी शख्सियत की और ईशारा करते है जिनका किसी धर्म-संप्रदाय से कोई लेना देना नहीं है |
जिनका उद्धेश्य सिर्फ हिंसा फैलाना है| उनके बम-गौली से मरने वाले सभी धर्मो के लोग है |
ऐसे आतंकवादी इंसानियत के दुश्मन है | इनसे लड़ते शहीद हुए जांबाज शहीदों की शहादत पर में कविता प्रस्तुतं करता हु |
“ हिमालय से ऊँचा “
हिमालय से ऊँचा है हमारे शहीदों का नाम,
उनके घर वालो को ये पयाम (सन्देश )
धन्य है पैदा किये जिन्होंने ये लाल’
वतन की खातिर जन दी, उसका क्या मलाल, (दुःख )
वतन की आन के आगे सब कुछ फीका है,
मेरे अन्दर भी क़ुरबानी का जज्बा जागा है,
वक्त पड़ा तो कुछ न कुछ कर जाऊंगा,
वतन के खातिर ही अपनी जान गवाऊंगा,
सिखलाऊंगा यही अपनी औलादों को,
कभी न मानना दुश्मन की चालों को,
वतन पर कुर्बान होने में ही है रहमत है ,
ये सब ही हमारे लिए जन्नत है |
जय हिन्द
लेखक:
इकबाल खान
आबू पर्वत