शहीद हुए जांबाज शहीदों की शहादत को मेरा सलाम: इकबाल खान


| February 10, 2015 |  

आतंकवाद और आतंकवादी शब्द ऐसी शख्सियत की और ईशारा करते है जिनका किसी धर्म-संप्रदाय से कोई लेना देना नहीं है |
जिनका उद्धेश्य सिर्फ हिंसा फैलाना है| उनके बम-गौली से मरने वाले सभी धर्मो के लोग है |
ऐसे आतंकवादी इंसानियत के दुश्मन है | इनसे लड़ते शहीद हुए जांबाज शहीदों की शहादत पर में कविता प्रस्तुतं करता हु |

“ हिमालय से ऊँचा “

हिमालय से ऊँचा है हमारे शहीदों का नाम,
उनके घर वालो को ये पयाम (सन्देश )

धन्य है पैदा किये जिन्होंने ये लाल’
वतन की खातिर जन दी, उसका क्या मलाल, (दुःख )

वतन की आन के आगे सब कुछ फीका है,
मेरे अन्दर भी क़ुरबानी का जज्बा जागा है,

वक्त पड़ा तो कुछ न कुछ कर जाऊंगा,
वतन के खातिर ही अपनी जान गवाऊंगा,

सिखलाऊंगा यही अपनी औलादों को,
कभी न मानना दुश्मन की चालों को,

वतन पर कुर्बान होने में ही है रहमत है ,
ये सब ही हमारे लिए जन्नत है |
जय हिन्द

लेखक:
इकबाल खान
आबू पर्वत

 

 

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