माउंट आबू | माउंटआबू की समस्याओं के लिए एक बार फिर सिरोही के विधायक संयम लोढ़ा ने आवाज उठाई है। राजस्थान विधानसभा में जिस तरह से उनकी आवाज गूंजी उससे माउंटआबू के नागरिकों को यह यकीन होता दिख रहा है कि जनता की समस्याओं का हर हाल में समाधान हो जाएगा। संयम लोढ़ा ने साफ शब्दों में कहा कि अगर संविधान के संशोधन के बावजूद माउंटआबू की जनता को समाधान नहीं मिल रहा है तो यह शर्मनाक है।
माउंट आबू की समस्याओं का मुद्दा माउंट आबू में निर्माण कार्यों पर बाइलॉज के बाद में भी नहीं मिली राहत विधायक लोढ़ा ने कहा भारत के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी ने किया था भारत के संविधान में स्थानीय निकाय और पंचायती राज में 74 वा संशोधन किया था तब भी यहां के लोगों को समाधान नहीं मिल रहा है।
गौर हो कि सिरोही के विधायक संयम लोढ़ा ने जब जब विधानसभा में कोई भी मामला उठाया है तो गूंज पूरे राजस्थान में होने लगती है ।इस बार इन्होंने माउंट आबू में निर्माण कार्यों को लेकर जनता के साथ में हो रहे अन्याय पर मामला उठाया और सदन को गुंजा दिया उन्होंने कहा कि माउंट आबू में 2009 सुप्रीम कोर्ट द्वारा माउंट आबू को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया और 2 साल में जॉन जोनल मास्टर प्लान घोषित करने को कहा गया इस बीच मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया जिसे निर्माण कार्यों के समस्त अधिकार दिए गए मॉनिटरिंग कमेटी ने जनता को कोई राहत नहीं दी और ढुलमुल स्थिति से आबू की जनता परेशान होती रही भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुमोदन के बाद माउंट आबू का मास्टर प्लान 2015 में स्वीकृत कर दिया गया लेकिन फिर भी जनता बाइलॉज के लिए चक्कर काटती रही उसके बाद राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने आने के बाद जनता को राहत दी और राजस्थान सरकार 9 मार्च 2019 को माउंट आबू के बायोलॉजी घोषित किए बड़ा आश्चर्य है कि बाइलॉज घोषित होने के बाद में भी आबू की जनता को राहत नहीं मिल पाई ।
माउंट आबू के छोटे छोटे प्लॉट पर भी बी आर ए घोषित किया गया जिससे आबू की जनता परेशान है माउंट आबू में बाइलॉज पास होने के बाद राजस्थान सरकार ने अप्रैल 2019 में एक कमेटी का गठन कर दिया जिसमें एसडीएम माउंट आबू को दोनों ही कमेटी में अध्यक्ष बना दिया गया पहली कमेटी में आयुक्त एवं सीनियर टाउन प्लानर को सदस्य बनाया गया तो दूसरी कमेटी में पंचायत के विकास अधिकारी और सीनियर टाउन प्लानर को सदस्य बनाया गया जिससे भारत रत्न कहे जाने वाले राजीव गांधी की सोच और सपनों के साथ अन्याय हो रहा है। माउंट आबू की एसडीएम की अध्यक्षता में जो दो कमेटी बनाई गई थी वह कमेटी सिर्फ आचार संहिता तक थी और उसके बाद में यह कमेटी भंग हो चुकी है जिस पर संयम लोढ़ा ने कहा किस कमेटी को भंग किया गया तो आदेश जारी किए जाएं इस प्रकार से विधायक संयम लोढ़ा ने जब माउंट आबू आई थी तो कहा था कि माउंट आबू का सभी मामला उन्हें बाबू की जनता ने सौंप दिया है और बाबू की जनता के हित के लिए लड़ते रहेंगे चाहे माउंट आबू की पानी की समस्या हो जाए अन्य समस्याएं आबू की जनता को राहत दिला कर रहेंगे।
संयम लोढ़ाने कहा कि राजस्थान में सरकार ने एक और जनता को राहत देने की कोशिश की है लेकिन जिस प्रकार से आबू की जनता के लिए कार्य किए जा रहे हैं संविधान के साथ ही राजीव गांधी के सपनों के साथ जो कानून 74 में जनता को राहत दी गई थी जनप्रतिनिधियों को राहत मिले इस प्रकार से जनता को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिल रही। सभी संभागों पर एक उपनिदेशक बैठाया जाता है जिसके स्थान पर सभी जिलों के अंदर स्थानीय निकाय विभाग के सहायक निदेशक का पद होना चाहिए और जो नगरपालिका में आरएमएस अधिकारी आयुक्त बनते हैं उनको सहायक निदेशक पद तक प्रमोशन दिए जा कर राज्य के 35 जिलों में इन पदों का सृजन किया जाना चाहिए जिससे जनता को राहत मिल सके। आज पंचायत राज में यह व्यवस्था है कि एक अधिकारी के ऊपर एक इसी प्रकार से स्थानीय निकाय विभाग में भी हर जिले में यह पद कायम होना चाहिए भी हर जिले में यह पद कायम होना चाहिए