माउंट आबू वनस्पति व जीवजंतु से लेस राजस्थान का एक मात्र पर्यटन स्थल है और नक्की झील को माउंट आबू का ह्रदय माना गया है | बात करे नक्की झील की तो यहा हर वर्ष लाखो पर्यटक आते है, माउंट आबू आने वाले पर्यटक अनुमन नक्की झील आते ही है जिसके चलते झील व नक्की व्यापार की सुरक्षा और गंभीर हो जाती है |
नाकि झील पर स्थित ऑनेस्ट रेस्टोरेंट के गेट से सटा हुआ युकलिप्टुस का पेड़ विशाल रूप ले चूका है उसकी बढती टहनिया चारो तरफ फेलती जा रही है बढ़ते पेड़ के साथ साथ उसके गिरने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है, हाल ही में हुई पहली बारिश के दौरान देलवाडा के रास्ते पर एक युकलिप्टुस का पेड़ गिर गया था जिससे क्रेन की मदद से हटाना पड़ा था |
2015 में हुई बारिश का कहर शायद ही कोई भुला होगा जब तीन दिनों तक हुई लगातार बारिश ने पुरे जीले का जीवन असत व्यस्त कर दिया था और माउंट आबू में गिरे पेड़ो की तो कोई गिनती ही नहीं थी और गिरने वाले पेड़ो में युकलिप्टुस पेड़ सबसे ज्यादा देखे गए थे, कुछ ही दिनों में मानसून आ जायेगा और अगर नक्की झील पर स्थित यह पेड़ या इसकी टहनिया भी गिर गई तो आस पास की दुकानो में तो हादसा होने का खतरा है ही साथ ही सेर सपाटे के लिए आये पर्यटक की जान पर भी बन सकती है |
यह है उपाय
एक बड़े पेड़ को उगने में कई साल लगते है, पेड़ अनमोल है इन्हें जड़ से उखाड़ना पर्यावरण के लिए हानिकारक है लेकिन मानसून की मार से पेड़ अगर जड़ से उखड गया तो पेड़ भी नहीं रहेगा और जान माल की हानि होगी वो अलग |
मानसून के पहले अगर इस पेड़ की छटाई कर दी जाये तो पेड़ भी बच जायेगा और एक बड़ा हादसा होने से रोका जा सकेगा | अब देखने वाली बात यह है की प्रशासन/ वन विभाग किस गति से इस कार्य को करता है, अगर प्रशासन इस में ठिलाई करता है और अगर कोई हादसा हो गया तो लोगो का आक्रोशित होना स्वाभाविक होगा | आबूटाइम्स पर प्रकशित इस एक्सक्लूसिव स्टोरी के बाद प्रशासन इस समस्या की जानकारी ना होना का बहाना बनाकर अपना पल्ला नहीं झाड सकेगा |