नही हुआ जिला कार्यकारिणी गठन, कई मंडलों में भी नही बनी कार्यकारिणी,मोर्चा प्रकोष्ठों का गठन भी बाकी
सिरोही जिले में भाजपा की पांचों स्थानीय स्वायत शाषी नियमों व दो पंचायत समितियों के अलावा जिला प्रमुख व तीनों विधायक क्षेत्रों में विधायक एवं भाजपा का सांसद होने के अलावा राज्य सरकार में देवस्थान व पशुपालन राज्य मंत्री के होने के बावजूद सत्ता व संगठन में तालमेल की कमी, आपसी गुटबाजी, भीरतघात व अनुशासनहिनता पर अंकुश नही लगने का असर जिलों के विकास पर पड रहा है। साथ ही जिला कार्य समिति व मोर्चा प्रकोष्ठों के गठन के अभाव में जिला संगठन व दसों मंडलों में चंद पदाधिकारियों की सक्रियता में भाजपा का साधारण कार्यकर्ता पीस कर रह गया है।
वहीं गुटबाजी मे व्यस्त वरिष्ठ पूर्व जनप्रतिनिधि एवं जिला पदाधिकारी अपनीे गोटिया सिर्फ तबादलों व राज्य सरकार से पद हथियाने की राजनीति में व्यस्त है यहीं कारण है कि प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी, सांसद देवजी एम पटेल व भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी की कार्यशैली पर अनेक गुटों व जातिवादी खेमों में असंतोष के स्वर भी उमर रहे है, जिस पर भाजपा संगठन व जनप्रतिनिधियों ने समय रहते अंकुश नही लगाया तो आने वाला समय विभिन्न जन समस्याओं को मुद्दा बनाकर राज्य सरकार व जिला प्रशासन पर शिकंजा कसने मे घेरा बंदी कर रही कांगेेंस को मजबूती प्रदान कर भाजपा की राह में रोडे अटका सकता है। गत दिनों मुख्यमंत्री के जोधपुर प्रवास के दौरान भी जिले के विकास के अलावा भाजपा जिला कार्यकारिणी, नगर परिषद व नगर पालिकाओ में सहव़ृत पार्षद के अलावा विभिन्न सरकारी कमेटियों में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर भी पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों पर दबाव बढा व मुख्यमंत्री तक बात पहुंची।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मौजूदा केन्द्र व राज्य सरकार के शासनकाल में सांसद देवजी एम पटेल व प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी ने पेयजल सिंचाई,जल स्वावलम्बन,चिकित्सा आदि हर क्षेत्र में करोडों रूपये की विकास राशि लाने में कोई कोर कसर नही छोडी,फिर चाहे मामला बत्तीसानाला का हो या सिरोही के राजकीय चिकित्सालय के ट्रोमा सेंटर सहित अनेक भवनों का पर यह जिलो के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि प्रदेश के चिकित्सा मंत्री के हांथों लोकार्पण के साथ एक साथ लगे 18 डॉक्टर उदघाटन के बाद चलते बने और कईयों ने ज्वाईनिंग भी नही की,जिसका गलत संदेश जिले में गया। जिले की चिकित्सा व्यवस्था डॉक्टरों के अभाव में चरमराई गई है,जिसका जिले की जनता ही नही भाजपाईयों में भी गहरा आक्रोश है।
इधर ईसरा में आदिवासी की पुलिस व लुटेरे की भिडंत में मौत के बाद पूर्व विधायक संयम लोढा इसे मुद्दा बना पूरे आदिवासी बेल्ट पर कांग्रेस का प्रभाव जमा चुके है। गत पंचायती राज चुनावों में भाजपा की आपसी फुट के चलते सिरोही व रेवदर में भाजपा का पंचायत समिति बोर्ड नही बन पाया। रेवदर में विधायक जगसीराम कोली,निर्दलीय प्रधान पुजाराम मेघवाल भले ही भाजपा के समर्थन में है, लेकिन रेवदर मंडल गुटबाजी की तनातनी कांग्रेस नेता नीरज डांगी को मजबूत बना रही है।
उधर पिंडवाडा नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड होने के बावजूद गुटबाजी में विभिन्न पार्षदों व पालिकाध्यक्ष के मध्य तनातनी व नगर मंडल के बीच की दूरी से पिंडवाडा नगर पालिका का विकास थम सा गया है। आबूरोड में भाजपा पिछले पंचायतीराज चुनावों में कांग्रेस से आबूरोड पंचायत समिति नही छीन सकी यहीं स्थिति शिवगंज पंचायत समिति की रही। सिरोही पंचायत समिति में भाजपा का बोर्ड आपसी भीरतघात व वायदा खिलाफ ी में नही बन पाया। सिरोही नगर परिषद में सभापति व भाजपा पार्षदों के मध्य की दुरियां इतनी बढी हुई है कि गत साधारण सभा में बजट पारित होने से पहले की बैठक में भाजपा व कांग्रेस के पार्षदों ने सामुहिक रूप से वोट मीटिंग का बहिष्कार कर इतिहास रचा।
भाजपा जिला संगठन में नयी जिला कार्यसमिति एवं शेष रहें मोर्चा प्रकोष्ठों में गठन में देरी की प्रमुख वजह तीनों विधायकों व जिलाध्यक्ष एवं सांसद में आपसी तालमेल का अभाव है तथा जिला संगठन गुटबाजियों में सिमट गया है,जिसमें एक खेमा सांसद तो दूसरा प्रभारी मंत्री तो तीसरा जिला प्रमुख व चौथा जिलाध्यक्ष एवं विधायकों व मंडल स्तरीय क्षत्रपों में सिमट गया है। हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी व प्रभारीमंत्री ओटाराम देवासी सभी कार्यकर्ताओं को समान महत्व देते हुए संगठन में जोडे रखे हुए है,लेकिन स्थानीय राजनीति व गुटबाजी में भाजपा का कार्यकर्ता जिले में पिस कर रह गया है।
सिरोही भाजपा मंडलध्यक्ष सुरेश सगरवंशी ने तो सोशल मीडिया व वोट-अप ग्रुप में बकायादा पत्र जारी वरिष्ठ जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी, जिला कोर समिति के सदस्यों को आग्रह किया कि जिला व मंडल कार्यकारिणियां अविलम्ब घोषित करावे ताकि कार्यकर्ताओं को संगठन में कार्य करने का मौका मिले अन्यथा विपक्ष बेवजह विभिन्न मामलों में मुद्दे बनाकर हंगामा खडा कर जिला प्रशासन को घेरने के साथ संगठन पर भी उलजुलुल बयानबाजी व आरोप मढ संगठन को कमजोर करने की चेष्ठा करता है,जिससे कार्यकर्ताओं की भावना आहत होती है। अब देखना यह कि भाजपा जिलाध्यक्ष व सांसद सहित दोनों विधायक एवं प्रभारी मंत्री जिला संगठन को मजबूत बनाने में जिला कार्यकारिणी की घोषणा एवं सत्ता व संगठन में तालमेल बिठाने में क्या भूमिका निभाते है।
इसी के साथ आबूरोड यूटीआई के अध्यक्ष को लेकर सुरेश कोठारी अरुण परसरामपुरिया बाबू भाई पटेल तो बीसूका उपाध्यक्स पद को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ताराजी भंडारी पूर्व जिलाध्यक्ष कमलेश दवे पूर्व जिला महामन्त्री वीरेंद्र सिंह चौहान में रस्साकस्सी मची है तो सिरोही नगरपरिषद और चारो नगरपालिकाओं के सहवृत पार्षदों को नियुक्त करने के अलावा विभिन्न जिला स्तरीय कमेटियो सदस्य मनोनयन के लिए भी भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी पर गहरा दवाब है।और सांसद देवजी पटेल और प्रभारी देवासी तक ही नही प्रदेश भाजपा संगठन और सीएम हाउस गलियारे तक गोटिया फिट हो रही है।पर प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी को माँ चामुंडा के भाव में किसको आशीर्वाद मिलता है ।इस पर भाजपाइयों का भाग्य सवर सकता है।