तालाबों व प्राकृतिक जल आवक मार्गाे का अस्तित्व संकट में
सिरोही नगर को बसाने वाले पूर्व देवडा नरेशों ने नगरवासियों की पेयजल राहत के लिए 7 तालाब व दर्जनों ऐतिहासिक बावडियां बनाई थी, जो 80 के दशक तक आमजन के लिए पीने व धोने काम में आती थी। कालांतर में नगरपालिका, तहसील प्रशासन,सिंचाई विभाग की बेदरकारी से तालाबों व नदी आवक मार्गाेे पर भारी पैमाने पे अतिक्रमण पनपे और शक्तिशाली भू-माफियाओं ने पनपाये व पूर्व नगर पालिका जो अब नगर परिषद बन गई है,उनके कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से उन अतिक्रमणों पर कच्ची बस्ती नियमन की पत्रावलियां भी बन गई,राशन कार्ड,बिजली पानी , आधार,कार्ड , भामाशाह कार्ड भी बन गए तथा निडोरा तालाब की भूमि पर तो गाडलिया लुहारों को नगर परिषद ने भूमि भी आवंटित कर दी। भू-माफियाओं की चपेट में धांधेला तालाब किदवंती बन गया और ये ही हाल लाखेलाव, मानसरोवर,कालकाजी, अखेलाव व दुधियां तालाब का है।
यह बात अलग है कि गत प्रवासी सम्मेलन में अनेक स्थानीय दानदाताओं व जल बिरादरी ने नगर के तालाब व वीर बावसी नाडी, वेरानाडी, सेलानाडी, बाहरीघाटा एनीकट व सभी तालाबो के संरक्षण पर जोर दिया, लेकिन हालात तब विकट हो जाते है जब लाखेलाव तालाब जिसे गोद लेकर सौन्दर्यीकरण के लिए जिला जल बिरादरी ने जिला कलेक्टर से गोद लेने का अनुरोध किया है, उस लाखेलाव तालाब, पुराना बस स्टेंड के आवक मार्ग, झोप नाले पर उसके उद्गम स्थल से टांकरिया बस्ती के किनारे मुहाने पर जमकर अवैद्य अतिक्रमण व अनाधिकृत बांधकाम परिषद, तहसील प्रशासन की आंखों में धुल झोंक कर हुए है तथा वर्षा के दौरान जब बाढ बचाव का फंड आता है, तो जिला प्रशासन इन अतिक्रमणकारियों को ही बाढ पीडित मानकर बाढ पीडित सहायता भी सरकारी भूमि हडपने वालों को मुहैया करवाता है। लाखेलाव तालाब के भीतर ही वर्षाे से सिरोही नगर पालिका व मौजूदा नगर परिषद के कर्णधारों ने समूचे टांकरिया बस्ती का पानी न्यायालय के आदेशों के विपरित लाखेलाव तालाब में डाल दिया है,जो जल देवी आशापुरी माता व देवेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पिछवाडे जमा होकर दुर्गन्ध, बदबू व प्रदुषण फैलाता है,जिसे आमजन की धार्मिक भावनाओं का हनन होता है।
पिछले दिनों में झोंप नाले के मुहाने पर कंसारा समाज को आवंटित भूमि से आगे जलदाय विभाग तथा आरएसएस की शाखा व पुलिस उप अधीक्षक कार्यालय के पिछवाडे तालाब व नाले के मध्य व पहाडी के छोर पर धडल्ले से अतिक्रमण जिला प्रशासन की आंखों में धुल झोंक कर किए है साथ ही अतिक्रमणों की भूमि पर ही देवेश्वरनाथ मंदिर के आगे झोंप नाले के कब्जे में देशी शराब का भी ठेका चल रहा है। इस बाबत लाखेलाव तालाब व झोंप नाले के मुहानों पर हुए अवैद्य अतिक्रमणों बाबत तहसीलदार वीएस भाटी व परिषद आयुक्त रामकिशोर माहेश्वरी को पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मामला उनके ध्यान में नही है और झोंप नाले व पहाडी पर अतिक्रमण हुए है तो उन्हे हटाने की कार्रवाई होगी। माहेश्वरी ने टांकरिया बस्ती के गंदे पानी तालाब में जाने को पूर्व की स्थिति बताते हुए कहा कि इस संबध में बोर्ड मे प्रस्ताव लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सवाल यह उठता है कि प्रदेश की मुख्यमंत्री श्रीमति वसुंधरा राजे,मुख्य मंत्री जल स्वावलम्बन योजना को साकार करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश एवं तालाब,नदी, नाले व प्राकृतिक जल संसाधनों के संरक्षण के लिए क्रांतिकारी पहल शुरू कर चुकी है,लेकिन सिरोही जिले व जिला मुख्यालय का दुर्भाग्य है सिरणवा व अर्बुदा की पहाडियों से बहने वाले नदी नालों में मानसून के दौरान पर्याप्त बरसाती पानी की आवक होती है,लेकिन बेतरतीबी से दो दशकों के दौरान मनमानीपूर्वक राजनीतिक संरक्षण में बने एनिकट,नदी नालों का बहाव मोडने व तालाब,कुए तथा बावडियों पर अवैद्य अतिक्रमणों से जहां से तालाबों का अस्तित्व ही उजडने के कगार पर है।
अब चाहें प्रवासी भाई अपनी जन्मभूमि के प्राचीन तालाब, सरोवर, जलाशय व नदी नालों के संरक्षण की भावना को लेकर जिला प्रशासन के सहयोग देने को आतूर है,लेकिन इन स्थानों के बदहाली से प्रवासी व भामाशाह प्रशासनिक व राजनीतिक लाल फीताशाही में सहयोग देने की भावना रखने के बाद बिलकने को मजबूर है।
संपादक
हरीश दवे, सिरोही