आबूरोड़ | केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आये दिन हो रहे एक्सीडेंट को कम करने के लिए बजट में किसी तरह की कंजूसी नहीं की और आये दिन राष्ट्र स्तर से लेके जीले स्तर पर सड़क सुरक्षा अभियान चलाये जा रहे है, लेकिन इस पहलु पर शहरी स्तर पर देखा जाए तो छोटी छोटी समस्याओ पर प्रशासन की अनदेखी और सुस्त रवैया उनके डबल स्टैण्डर्ड को दर्शाता है |
– पहला डबल स्टैण्डर्ड जब केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर बहुत गंभीर है तो शहरी स्तर पर वो गंभीरता नज़र क्यों नहीं आती |
– दूसरा डबल स्टैण्डर्ड आबुरोड़ में स्पीड ब्रेकर की बनावट को लेके नज़र आता है, शांतिवन के बहार 100% दुरुस्त स्पीड ब्रेकर है तो सरकरी हस्पताल के बहार स्पीड ब्रेकर की बनावट के कारण कोई भी वहा गिर सकता है वही सेंट जॉनस स्कूल के बाहर स्पीड ब्रेकर ही नहीं है |
इस बात पर कोई दोराहे नहीं की वाहन चालक की यह जिम्मेदारी बनती है की वह सड़क नियमो का पालन करे, गति नियंत्रित रखे लेकिन उतनी ही जिम्मेदारी सरकार/ प्रशासन की बनती है की उनकी तरफ से सड़क सुरक्षा को लेकर कोई चुक नहीं होनी चाहिए |
स्पीड ब्रेकर की बनावट, ज़ेबरा क्रासिंग पर जरुरत है की गंभीरता से बनवाया जाए, चमकदार स्पीड ब्रेकर से चालक को स्पीड ब्रेकर के आने पहले ही दिख जायेगा और वह अपनी वाहन की गति सही समय पर नियंत्रित कर सकेगा |
ट्रोमा सेंटर मार्ग पर कई बार जान लेवा एक्सीडेंट हुए है उसी मार्ग पर एक स्कूल है जहा पर पहले एक स्पीड ब्रेकर हुआ करता था लेकिन कुछ समय से वहा का स्पीड ब्रेकर हटा दिया गया जिसे आजतक वापस नहीं बनाया गया बड़े हेरत की बात है जहा सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर इतना गंभीर रूप दिखाती है वही जब शहरी स्तर पर सरकार की लापरवाही को देख उसी सरकार का सड़क सुरक्षा को लेकर उनका डबल स्टैण्डर्ड दर्शाता है |
उम्मीद है अगले साल इलेक्शन आने वाले है और मौजूदा भाजपा सरकार नहीं चाहेगी कोई भी चुक हो जिससे की उनका वोट बैंक कटे, वैसे तो पिछले कुछ दिनों में सिरोही जिले के बड़े नेताओ के बडबोले बयानों से भाजपा की शाक पर कई प्रशन उठे है लेकिन बचे हुए शत्र में भी अगर भाजपा जनता के ज्यादा से ज्यादा मसले सुलझा पाई तो शायद फिर एक बार भाजपा का बोर्ड बने |