प्राकर्तिक सोंदर्य का सबसे सुन्दर पर्वतीय स्थल माउंट आबू न केवल यहाँ के ठन्डे तापमान या पर्यटन स्थल के लिए प्रचलित है बल्कि यहाँ के वन्यजीवों से जुडी बाते भी आये दिन चर्चा में रहती है | बात करे भालू की तो पिछले कुछ वर्षो से माउंट आबू में भालू देखना आम बात हो गयी है कभी दिन तो कभी रात में कभी नक्की झील पर तो कभी सोफिया स्कूल के सामने और 2 दिन पहले तो करीब 10:45 रात में भालू नगर पालिका माउंट आबू पर शिवजी के मंदिर में गुस गया और वहा एक पेटी को तहस नहस कर दिया फिर वहा खाने के लिए कुछ न होने के कारण मंदिर से निचे रोड पर आ गया जहा से फिर वह अपने रास्ते चला गया |
वन विभाग के कुछ कार्यकर्ताओ का कहना है माउंट आबु एक वन्यजीव स्थल है यह स्थान पहले वन्य जीवो का है, माउंट आबू में कई बार बड़े हादसे हुए है जिसमे भालू ने यहाँ के लोगो को गहरे घाव दिए है और यह पर्यटकों के द्रष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मुद्दा है यह जानवर कभी भी किसी पर भी हमला कर सकते है |
क्या जंगलो में भालू के लिया खाना नहीं बचा
भालू शहर का रुख खाने की तलाश में करते है देलवाडा पर रोज़ भालू दीखते है, कई बार मंदिरों में प्रसाद की खुशबू भालू को खीच लाती है, नक्की झील पर कचरा पात्र में खाना ढूंडते भालू को कई बार देखा गया है |
यह कोशिशो से भालू का शहर में आना कम हो सकता है
भालू के शहर में आने का मुख्य कारण है खाना, भालू को फलिया बहुत पसंद होती है और कुछ ही भालू है जो आये दिन शहर की तरफ आते है अगर उन भालू में जीपीएस लगा के ट्रेक किया जाए तो भालू के ठिकानो का पता लगाया जा सकता है जिन्हें भविष्य में ट्रंकुलाइज कर घने झंग्लो में छोड़ दिया जाए तो माउंट आबू में बढ़ रहे भालू के खौफ पर लगाम लगायी जा सकती है |
वन्यजीव प्रेमी चिंटू यादव बताते है की शर्दियो में सबसे ज्यादा भालू शहर की तरफ आते है तो वही वन विभाग की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है की किसी तरह आये दिन शहर की तरफ आ रहे भालुओ को कैसे रोका जाये |