स्वास्थ्य | डॉक्टर को भगवान के समान माना गया है, डॉक्टर अपनी प्रतिभा से लोगो के मर्ज़ को ठीक कर फिर से लोगो को स्वस्थ कर देते है, उसी प्रकार डेंटिस्ट (दन्त चिकित्सक) भी सबसे गंभीर दर्द में एक माना जाने वाले दांत के दर्द का इलाज कर हमें राहत पहुंचाता है, लेकिन समाज में आज भी डेंटिस्ट व डॉक्टर में एक बड़ा फर्क देखने को मिलता है |
इस कथन को और स्पस्ट करने के लिए हम कुछ आकडे साझा करते है, आजादी के बाद से अब तक राजस्थान में सरकारी अस्पताल में सिर्फ 550 के आस पास की नियुक्ति हुई है, सोचिये वर्तमान में जिस राज्य की जनसंख्या लगभग 7 करोड़ है उस प्रदेश में अब तक सिर्फ 550 सरकारी दन्त चिकित्सक की नियुक्ति हुई है जो की चिंताजनक है |
राजस्थान में लगभग 2300 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) है तो वही लगभग 600 के करीब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) है, लगभग 10,000 दन्त चिकित्सक राजस्थान राज्य दंत चिकित्सा परिषद (RSDC) में रजिस्टर्ड है, WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबित हर 3000 लोगो पर एक डेंटिस्ट होना चाहिये लेकिन आज़ादी के बाद अब तक सिर्फ 550 सरकारी नियुक्ति हुई है ऐसे में दांत से जुडी पीडाओ के लिए सरकारी इलाज़ पाना लगभग नामुमकिन है |
प्राइवेट डेंटल क्लिनिन्क महंगे उपकरण आदि के चलते इलाज़ सस्ते में नहीं करते ऐसे में पिस्ता है मध्य वर्ग या गरीब आदमी, गाँवों में आज भी लोग घरेलु इलाज़ के सहारे काम चला रहे है जो की स्वस्थ भारत, ससक्त भारत की नीव को कमजोर कर रहा है |
WHO की माने तो हर स्कूल, कॉलेज, प्राइवेट कंपनी आदि में में डेंटिस्ट नियुक्त होने चैहिये, जो की शायद ही राजस्थान में कही होंगे | दांत के दर्द को दुनिया के सबसे गंभीर दर्द में से एक माना गया है, ऐसे में आवश्यकता है की ज्यादा से ज्यादा दन्त चिकित्सको की सरकार नियुक्ति करे जिससे की डेंटिस्ट को भी एक उर्जा प्राप्त हो वही लोगो को इस गंभीर समस्या से न्यूनतम दर पर आराम प्राप्त हो सके |
दन्त चिकित्सक संघ ने पिछले 2 वर्षो में कई धरना पर्दर्शन आदि किये जिस पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई, जहा एक और कोरोना ने हमें स्वास्थ को लेकर काफी सतर्क किया है तो अब आवश्यकता है स्वास्थ से जुड़े हर पहलु हम गंभीर रूप से सोंचे खासकर सरकार डेंटल जैसे अनेक मुद्दे पर गंभीर होकर युजनाये बनाये |