राजस्थान के हर जिले की अपनी एक कहानी जिसमे जिले की वीरता का बखान है तो वही शहर के खासियत का विश्लेसन है जो इन जिलो को विश्वभर में लोकप्रिय बनाती है ऐसी ही अनेक खूबियों से भरपूर है हमारा जिला सिरोही जिसे खूबसूरती से निखारा है भारत युवा कला रत्न पुरस्कार से समानित कार्तिकेय शर्मा ने |
श्री जीरावला तीर्थ… भगवान महावीर के चरणस्पर्श से पवित्र भूमि… चन्द्रावतीनगरी… पद्मावती नगरी… सिरोही जिला… देवनगरी… अनेकों तीर्थों की गिरिमालाओ में स्थित मन्दिरों में ’’श्री जीरावला पार्र्श्वनाथ तीर्थ’’ का स्थान अनोखा है उसकी महिमा अपरम्पार है… जिस तरह एक माँ के समान इन सभी मन्दिरों को ममत्व प्रदान करता है व अर्बूद गिरिराज एक पिता के समान अपनी छत्र छाया प्रदान कर इनका पालन करता है। एेसा अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर लाखों श्रद्धालुओं का मन श्रद्धा अौर भक्ति से रोमांचित हो जाता है, भक्त अौर भगवान दोनों मानों प्रकृति के साथ आँख मिचौली का खेल खेल रहे हो।
जिले के अजारी गांव स्थित मार्कंडेश्वर धाम का सरस्वती मंदिर देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर बच्चों की वाणी, शिक्षा और बुद्धि के लिए मन्नतें मांगी जाती है। इतना ही नहीं यह मन्नतें पूरी होती है तो वहां कॉपी-किताब व पेंसिल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं वाणी विकार भी सही होने पर चांदी की जीभ चढ़ाते हैं। दरअसल, इस धाम को लेकर यह मान्यता है कि यहां कालीदास जैसे साधक आराधना कर चुके हैं। यह वहीं स्थान है जहां बाल ऋषि मर्कंडेय ने यम से बचने के लिए महामृत्युजय का जाप कर मृत्यु पर विजय पाई थी।
राजस्थान का नाम लेते ही आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? जाहिर है चारों तरफ फैला रेगिस्तान, मगर राजस्थान में सिर्फ रेत के समंदर ही नहीं, बल्कि खूबसूरत पहाड़, झरने और कुदरती नज़ारे भी हैं। सिरोही जिले में में अरावली की पहाड़ियों पर बसा छोटा हिल स्टेशन माउंट आबू आपको रेगिस्तान में शीतल हवा के झोंके सा प्रतीत होगा। यहां आने पर आपको यह विश्वास ही नहीं होगा कि यह राजस्थान में है।
खूबसूरत पहाड़, वनस्पति, हरियाली, अभयारणय, झील और शीतल वातावरण माउंट आबू को पर्यटकों के लिए बेहतरीन जगह बनाते है। कुदरती सुंदरता का लुत्फ उठाने के साथ ही यहां आप आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए ब्रह्मकुमारी के शांति पार्क भी जा सकते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान् संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहाँ आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल बना गया। पुराणों में इस क्षेत्र को अर्बुदारण्य कहा गया है।
स्वामी विवेकानंद की तपस्या की माउंटआबू की गुफाएं
देश के जानेमाने संत और युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद का नाता माउंटआबू से भी रहा है। खेतड़ी महाराज के जब वह संपर्क में आए तब महाराज ने उन्हें माउंटआबू आने का भी निमंत्रण दिया था। स्वामी विवेकानन्द जी लंबा समय गुजरात के कई हिस्सों में व्यतीत करने के बाद माउंटआबू आए। यह वह समय था, जब माउंट आबू गुजरात का हिस्सा था। चंपा गुफा में उन्होंने चिंतन और ध्यान किया। स्वामी विवेकानंद ने यहां की चंपा गुफाओं सहित इस उद्यानु में भी कई महीनों तक तपस्या की थी । इस स्थान पर बना स्मारक और ये गुफाएं उनकी याद दिलाती है।
लेखक, कार्तिकेय शर्मा. सिरोही
राजस्थान युवा कला रत्न 2015,2018,2021