माउन्ट आबू | अन्तराष्ट्रीय जाने माने संत परिव्राजकाचार्य स्वामी ईश्वरानंदगिरी ने कहा है कि जो धर्म की रक्षा करता है तो धर्म उसकी रक्षा करता है। आप जैसे भगवान को अपनाओंगे तो भगवान भी आपको वैसे ही अपनाएंगे। शरद पूर्णिमा का पर्व एक महान पर्व व राष्ट्रीय प्रयोजन है और शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा 16 कलाओ से अवतरित होता है और चन्द्रमा का मनुष्य के मन पर बहुत प्रभाव पडता है। चन्द्रमा की हम इस दिन पूजा करते है उसमें देही रूपी लक्ष्मी अमृत लेकर आती है वह पूछती आती है कि कौन जाग रहा है और कौन नहीं जो जागृत अवस्था में होता है उसे भगवान का आर्शीवाद और अमृत दोनो मिलते है। स्वामी गिरी माउन्ट आबू के अर्बुदा देवी मन्दिर पर आयोजित शरद पूर्णिमा महोत्सव समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होने कहा कि भारत जितना प्राचीन है उतने ही प्रानीच हमारे पर्व हमारे आयोजन यह पर्व एकात्म भाव बनाए रखने में विलक्ष्ण योगदान का पर्व है। समाज में धर्म की धारना बनाए रखने के लिये आवश्यक मर्यादाएं निर्धारण करने के लिये ऐसे आयोजन सहायक होते है उन्होने कहा कि आज हम यहां से ह्रदय दृष्टि से अधिक समृद्व होकर जायेंगे। स्वंय को महान और बढा मानने और दूसरों को लधु व हीन साबित करने की प्रवृति ही अंहकार को जन्म देती है। परिचित हो अथवा अपरिचित सबके साथ बिवम्र व्यवहार करने में ही व्यक्ति को शालीनता के दर्शन होते है।
अमृत जैसे पर्व पर हमें अमृत प्राप्त होता है। स्वंय के जीवन को सुव्यवस्थित और अनुशासित ढंग से जीना ही वहीं औरों की सुख सुविधा, मान सम्मान और शिष्टाचार का ध्यान रखना व्यक्ति की विशेषता मानी जाती है शास्वत सुख के लिये सबसे पहले हमें अपने आप को तथा शरीर और आत्मा के अन्तर को जानना होगा। भारत ने कई संास्कृतिक परिवर्तनों को सामना किया है और सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्य बनाये रखने में हम सफल रहे है। इस अवसर पर देश के कौने कौने से श्रद्वालु कार्यक्रम में पहुचे। मन्दिर के प्रमुख पुजारी भरत रावल, माता कमला देवी, पुजारी प्रवीण रावल, अशोक रावल, संजय रावल सहित गौरी रावल, मंजुला रावल, विजया रावल व परिवार ने स्वामी गिरी का पृष्प मालाओ से स्वागत किया। श्रद्वालुओ ने स्वामी गिरी की पूजा अर्चना की वहीं प्रसाद वितरण किया गया।