सावन का तीसरा सोमवार, जाने आबू के प्राचीन शिवालयों की कहानी


| August 17, 2015 |  

माउंटआबू में तीसरा का दूसरा सोमवार धूमधाम से मना। भोले के भक्त अचलगढ़ सहित कई शिव मंदिरों में सुबह से ही लाइन में देखे गए श्रद्धालुओँ का जमावड़ा माउंटआबू में आवागमन प्रभावित होने से पिछले साल के मुकाबले भले ही कम रहा हो लेकिन उत्साह पिछले साल से दोगुना था। सोमवार सुबह से ही हर हर भोले बम बम भोले के जयकारों से माउंटआबू गूंज उठा।

माउंटआबू के अचलगढ़ में बाबा भोले को जल चढ़ाने के लिए भारी भीड़ देखी गई। माउंटआबू में स्थित अचलगढ़ महादेव तीर्थ दुनिया की इकलौती ऐसी जगह है जहां भगवान शिव के अंगूठे की पूजा होती है।भगवान शिव के सभी मंदिरों में उनके शिवलिंग की पूजा होती है लेकिन यहां भगवान शिव के अंगूठे की पूजा होती है।माउंटआबू की पहाड़ियों पर स्थित अचलगढ़ मंदिर पौराणिक मंदिर है जिसकी भव्यता देखते ही बनती है।इस मंदिर की काफी मान्यता है और माना जाता है कि इस मंदिर में सोमवार के दिन,सावन महीने में जो भी भगवान शिव के दरबार में आता है भगवान शंकर उसकी मुराद पूरी कर देते है।

साथ ही माउंटआबू में स्थित सोमनाथ संत सरोवर का जिक्र शिव पुराण और स्कंद पुराण मे भी आता है। इस पौराणिक स्थल के बारे में ये मान्यता है कि यहां भगवान शिव का वास है। सावन के महीने में इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।यहां भगवान शंकर का एक प्राचीन भव्य मंदिर भी है। भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग भी बनाए गए है। इस दौरान यहां स्वागत यात्रा यानि शोभा यात्रा भी निकाली जाती है जिसमें भगवान शंकर की मूर्तियों को डोली में रखकर पूरे शहर में घुमाया जाता है और फिर मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है। भगवान शंकर के चरण सहित कई चीजों के निशान यहां मौजूद है। भगवान शंकर के कई दिनों तक वास करने की बात शिव पुराण और अर्बुद खंड में भी वर्णित है।

माउंटआबू में ही अर्बुद नीलकंठ मंदिर भी माउंटआबू का एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है।अर्बुदा देवी तीर्थ के पास ये मंदिर है जहां नीलम पत्थर से बना हुआ शिव मंदिर है।इस मंदिर को राजा नल और दमयंती ने बनवाया था।इस मंदिर तक पहुचने के लिए श्रद्धालुओं को 350 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है।नीलकंठ मंदिर नाम इसलिए है कि भगवान शंकर का मंदिर और शिवलिंग नीलम के पत्थर से बना हुआ है।
माउंटआबू में अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर के बर्फ वाले शिवलिंग की तरह भी एक बर्फ का शिवलिंग बना हुआ है जो ब्रह्मकुमारी संस्थान द्वारा बनाया गया है।ये जगह अमरनाथ के दर्शन कराती है और बर्फ का शिव उसी आकार में बर्फ से ही ढाला गया है।

गौर हो कि देश का इकलौता हिल स्टेशन माउंटआबू को अर्धकाशी माना जाता है। वाराणसी को शिव की नगरी कहा गया है और माउंटआबू को भगवान शंकर की उपनगरी। यहां भगवान शिव के छोटे-बड़े 108 मंदिर है। पुराणों में कहा जाता है कि वाराणसी के बाद भगवान शंकर कई रुपों में माउंटआबू में वास करते है। इसलिए यहां सावन के महीने और हर सोमवार के मौके पर यहां के कई प्राचीन मंदिरों में भगवान के दर्शन के लिए साधु संतों के अलावा श्रद्धालुओँ की भारी भीड़ उमड़ती है।

 

 

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