चार मे मे है तीसरा हादसा, अधिकारी नही दे रहे ध्यान
आबूरोड। दिल्ली से मुंदरा पोर्ट जा रही डबल डेकर मालगाड़ी के चार डिब्बे रेल लाइन से नीचे उतर जमीन में जा धसे । रेलवे स्टेशन के कुछ ही दुरी पर हुए हादसे मे रेलवे लाइन टूट कर बिखरी। दुर्घटना की सूचना मिलने पर रेलवे अधिकारियों के छूटे पसीने । अधिकारी सहित दुर्घटना बचाव टीम पंहुची मौके पर। रेलवे स्टेशन की छठी रेलवे ट्रेक पर हुए हादसे में क्षतिग्रस्त डिब्बो को अलग किया गया। नीचे गिरने की कगार पर पहुंचे मालगाड़ी के डिब्बा को क्रेन से सीधा कर निचे उतारा गया। रेलवे लाइन मरम्मत कार्य शुरु किया गया। समाचार लिखे जाने तक कार्य जारी रहा था।
दिल्ली से मुंदरा पोर्ट जा रही डबल डेकर मालगाड़ी जीएचएच/एमडीसीसी सुबह साढ़े आठ बजे छह नम्बर रेल ट्रेक पर पहुंची। आबूरोड रेलवे स्टेशन के कुछ ही दुरी पर अचानक एक तेज अवाज के साथ चार डिब्बे रेलवे लाइन से नीचे उतर गए। चालक अब्बास कारात व सह चालक अभिषेक व गार्ड लेखराज का हादसे का अंदेशा हेाने पर तुरन्त इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका। रेलवे टे्रक के स्लीपर व रेल लाईने टूट गई। गार्ड ने इसकी सूचना अधिकारियों को दी। दुर्घटना की सूचना मिलते ही आला अधिकारी, दुर्घटना राहत दल के कर्मचारी सहित अन्य अधिकारी मौके पर जा पहुंचे। दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया। उच्चाधिकारियों को जानकारी दी। साथ ही राहत कार्य शुरु किया गया।
दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुए डिब्बो को मालगाड़ी से अलग किया गया। डीजल की मदद से दूसरे स्थान पर ले जाया गया। डिब्बो को सीधा करने के लिए क्रेन मंगवाई गई। लेकिन, सफलता नहीं मिली। इस पर बड़ी क्रेन की मदद से डिब्बो को सीधा किया गया। समाचार लिखे जाने तक रेलवे लाइन की मरम्मत कार्य जारी रहा। इस अवसर पर सीनियर डीएमई, डीएमई राजीव अवस्थी, टीआरआई सुरेश जाटव, स्टेशन अधीक्षक विजयसिह कसाना, जीआरपी थानाधिकारी कैलाशचंद्र आदि अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
चार डिब्बे हुये क्षतिग्रस्त
दुर्घटना में चार वैगन बीएलसीएएम 6310902644, बीएलसीएएम 61310901552, बीएलसीएएम 62310903822 व बीएलसीएएम 62310903839 रेल ट्रेक से उतर गए। रेल लाइन टुकड़े-टुकड़े हो गई। वैगन रेलवे लाइन के पास नीचे तक झुक गए। 47 वैगन व 138 कंटेनरों को समुंद्री मार्ग से विदेश भेजा जाना था। लेकिन, इससे पहले ही दुर्घटना हो गई।
बडा हादसा टला
रेलवे स्टेशन से मात्र कुछ ही दूरी मे हुई दुर्घटना अगर कुछ ओर आगे होती तो शायद बडा हादसा घटित हो सकता था। प्रयतक्षदर्शयो की मांने तो जिस समय यह हादसा हुआ उस दोरान उस ट्रेक के समीप रेलवे के ट्रेक कर्मचारी अपना कार्य कर रहे थे वही स्टेशन पर यात्रियो की भी भीड थी, ओर उसी समय रेलवे कोलानी से ट्रेक पार कर लोगो की आवाजाही भी हो रही थी अगर यह डिब्बे कुठ ओर आगे गिरते तो शायद बडे हादसे से नकारा नही जा सकता था।
चार मे तीसरा बडा हादसा
जिस जगह पर आज यह घटना घटित हुई है वही पर पिछले चार महिनो मे यह तीसरा हादसा घटित हुआ है, पहले हादसे व दूसरे हादसे मे भी रेले ट्रेक के टूट जाने से मालगाडी निचे ऊतरी थी, उसके बाद मौके पर पुहंचे अधिकारीयो ने इसपर उचित कार्य करने के लिये कहा था लेकिन उसके बाद भी आज दुर्घटना घटित हुई। मौके पर बिखरी टूटी रेल लाईने सहित स्लीपर को देखने से पता चल रहा था कि पिछली दो दुर्घटना होने के बाद भी रेलवे अधिकारीयो ने सिर्फ बाते करी लेकिन इस पर कोई ध्यान नही दिया अगर ध्यान दिया होता तो शायद आज कि घटना घटित नही होती।
डालते रहे एक दूसरे पर जिम्मेदारी
हादसे की सुचना पर मौके पर पुहंचे रेलवे के विभिन्न विभागो के अधिकरी अपनी नौकरी बचाने के चक्कर मे एक दूसरे पर दुर्घटना कि जिम्मेदारी डालते नजर आये। सभी विभाग अपने निजी विभाग कि गलतिया निकालते नजर आया।
नही थी कोई व्यवस्था
इतनी भिष्ण गर्मी मे हुये हादसे में कार्य कर रहे रेलवे कर्मचारीयो के लिये मौके पर किसी भी प्रकार कि व्यवस्था नजर नही आई। रेलवे स्टेशन के इतने समीप होने के बाद भी दुर्घटनार स्थल पर कार्य रहे रहे कर्मचारीयो के लिये छाया सहित पिने के पानी कि कोई व्यवस्था नजर नही आई। इतनी तेज गर्मी मे रेल कर्मचारी धूप मे बिना पानी के कार्य कर रहे थे वही प्यास लगने पर कर्मचारी स्वयं के स्तर पर पानी कि व्यवस्था करते नजर आये।