माउंटआबू में शरद महोत्सव का आगाज हो चुका है। शुरूआत शोभायात्रा से हुई। पूरा माउंटआबू इस महोत्सव के रंग में रंग गया है। इस दौरान सैलानियों की भारी मौजूदगी रही । स्थानीय लोगों ने भी आगाज के दौरान आयोजित कार्यक्रमों का खूब लुत्फ उठाया। यह समारोह 31 दिसंबर तक चलेगा। यह समारोह शरद रितु के बीच नए साल के आगाज के जश्न के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। गौर हो कि इस
शरद महोत्सव का सोमवार को रंगारंग आगाज हुआ। शुरूआत शोभायात्रा से हुई। लोकगीतों पर सड़कों पर थिरकते लोकनर्तकों के घुंघरूओं की आवाज से वादियां गूंज उठी। पर्यटन कार्यालय से शोभा यात्रा शुरू हुई जो रोटरी सर्किल, चाचा म्यूजियम, सब्जी मंडी, मुख्य बाजार, मस्जिद मार्ग होते हुए शोभायात्रा नक्की झील पहुंची। शोभायात्रा देखने के लिए होटलों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की छतों से लेकर तक हुजूम उमड़ा। यात्रा के नक्की झील पहुंचने पर कलाकारों ने प्रस्तुतियां देकर पर्यटकों की खूब दाद बटोरी।
इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर और आईएएस अधिकारी और उपखंड अधिकारी एच गुईटे, सहायक पर्यटन निदेशक भानू प्रकाश सिंह ने शोभा यात्रा को हरी झंडी दिखाई। शोभा यात्रा के दौरान कई राज्यों के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। इनमें यूपी, एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र के कलाकारों ने हिस्सा लिया। इस दौरान गुजरात का डांडिया डांस और गरबे की धूम, यूपी में ब्रज की की होली, राजस्थान की कला और नृत्य, मयूर डांस देखने को मिला। शोभा यात्रा के दौरान कलाकार गरबा डांस और डांडिया खेलते चल रहे थे। दूसरी तरफ ब्रज की होली का गुलाल भी यहां की फिजाओं में घुल रहा था। राजस्थान के कलाकार नाचते गाते एक ही वेशभूषा में बेहद आकर्षक लग रहे थे. मयूर नृत्य की अदाएं सैलानियों को थिरकने पर मजबूर कर रही थी। शोभा यात्रा में माउंटआबू के सैर सपाटे को आए सैलानियों ने भी खूब बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।
इस वक्त माउंटआबू में सर्दी अपने चरम पर है। एक तरफ माउंटआबू का तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच गया है । तो दूसरी तरफ नक्की झील का पारा शून्य से नीचे चला गया है। गुरुशिकर का तापमान शून्य से एक डिग्री नीचे है। लेकिन शरद महोत्सव के उल्लास और उत्साह पर सर्दी का कोई असर नहीं दिख रहा है। हर साल की तरह इस बार भी स्थानीय लोगों के साथ सैलानी इसमें शिरकत करने के साथ खूब मस्ती कर रहे है।
शरद महोत्सव की परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है। समय समय पर इसके रंग रुप जरुर बदले है लेकिन इसकी मिठास अब भी वही है।
शरद महोत्सव हर बार माउंटआबू को नई पहचान देता है। इसकी वजह भी साफ है क्योंकि पुराने साल के खात्मे और नए साल के आगाज के मौके पर होनेवाला ये उत्सव जिन विविध रंगों को बिखेरता है उसमें सैलानी सराबोर हो उठते है। ये उत्सव सांस्कृतिक होता है,धार्मिक रंगों में सजा धजा होता है।उत्सव के हर रंग राजस्थान की संस्कृति की पहचान कराते है। हर साल एक बार होने वाले इस महोत्सव का आनन्द लेने न केवल राजस्थान बल्कि आसपास के राज्यों, खासकर गुजरात से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। इस मौसम में नक्की झील पर कई बार बर्फ की परत जम जाया करती है। इससे शरद महोत्सव का आनन्द दुगुना हो जाता है। इस महोत्सव में शहर के होटल व्यवसायियों को अच्छी होती है। शहर में पर्यटकों के आने से बाजार में रौनक बन जाती है। पर्यटकों के आगमन के कारण चाय, नास्ते व भोजनालयों में भीड़भाड़ होने से व्यवसायियों की चांदी हो उठती है।